पटना: बिहार की धरती ने एक बार फिर अपनी बेटियों की प्रतिभा का लोहा मनवाया है। नॉट्रेडेम एकेडमी की स्टूडेंट्स निष्ठा ठाकुर और आस्था ठाकुर, दो ऐसी जुड़वा बहनें है, जिन्होंने सोशल मीडिया के शोरगुल से दूर रहकर किताबों से अटूट नाता जोड़ा और सीबीएससी की 10वीं की परीक्षा में अद्वितीय सफलता हासिल की। 98.4% और 97% अंकों के साथ स्कूल में शीर्ष स्थान प्राप्त कर, इन बेटियों ने न केवल अपने परिवार का बल्कि पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है। इनकी कहानी आज के युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत है, जो दिखाती है कि सच्ची लगन और मेहनत हर बाधा को पार कर सकती है।
शिक्षा और संस्कारों की नींव पर सफलता 
सीतामढ़ी जिले से ताल्लुक रखने वाली निष्ठा और आस्था की परवरिश एक ऐसे माहौल में हुई है, जहाँ शिक्षा को सर्वोपरि माना जाता है। उनके माता-पिता, जो स्वयं नौकरीपेशा हैं, उन्होंने अपनी बेटियों को बेहतर शिक्षा और संस्कार देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। यही कारण है कि इन दोनों बहनों ने कड़ी मेहनत और समर्पण को अपना मूल मंत्र बनाया।
सोशल मीडिया से दूर, डॉक्टर बनने का है जूनून।

आज के डिजिटल युग में, जहाँ युवा पीढ़ी सोशल मीडिया के आकर्षण में खोई रहती है, निष्ठा और आस्था ने इससे दूरी बनाए रखी। उनका मानना है कि सोशल मीडिया समय की बर्बादी है और उन्होंने अपनी पूरी ऊर्जा अपनी पढ़ाई पर केंद्रित की। इसका परिणाम आज सबके सामने है। दोनों बहनों का सपना डॉक्टर बनना है। वे चिकित्सा के क्षेत्र में जाकर लोगों की सेवा करना चाहती हैं। उनकी इस महत्वाकांक्षा को उनके परिवार का पूरा समर्थन प्राप्त है। उनकी बड़ी बहन, जो स्वयं आईआईटी रूड़की से इंजीनियरिंग कर रही हैं, भी उनकी प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने अपनी छोटी बहनों को हमेशा मेहनत करने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया है।
अंक ही नहीं, दृढ़ संकल्प है कहानी
निष्ठा और आस्था की सफलता की कहानी सिर्फ अंकों की कहानी नहीं है। यह कहानी है दृढ़ संकल्प की, अनुशासन की और अपने लक्ष्यों के प्रति अटूट निष्ठा की। यह कहानी उन माता-पिता के लिए भी एक संदेश है जो अपने बच्चों को सफलता की राह पर देखना चाहते हैं – सही मार्गदर्शन और सकारात्मक माहौल ही सफलता की कुंजी है।
सफलता का मंत्र: दृढ़ इच्छाशक्ति और मेहनत
निष्ठा ठाकुर और आस्था ठाकुर की यह उपलब्धि उनके डॉक्टर बनने के सपने की पहली सीढ़ी है। सोशल मीडिया से दूर रहकर, केवल अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करके उन्होंने यह साबित कर दिया है कि सच्ची सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता। उनकी कहानी उन सभी युवाओं के लिए एक सबक है जो क्षणिक आकर्षणों में भटक जाते हैं। इन दो बेटियों ने न केवल अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और लगन से हर सपने को साकार किया जा सकता है। बिहार की यह दो बेटियाँ आज पूरे प्रदेश के लिए गर्व का प्रतीक हैं, और उनकी सफलता की यह गाथा आने वाली पीढ़ियों को भी प्रेरित करती रहेगी।
रिपोर्ट: गौरव कुमार