पटना : “ठोक देंगे कट्टा कपार में, आइए ना हमरा बिहार में” गाने की पंक्तियाँ राजधानी पटना के लिए बिल्कुल सटीक बैठता है। राजधानी पटना में दिनदहाड़े गोलीबारी की घटनाएं आम होती जा रही है। पटनवासियों के लिए डर के साये में जीना एक “न्यू नॉर्मल” बनता जा रहा है। पटना में अपराधियों का बोलबाला बढ़ता चला जा रहा है और प्रशासन बेबस और लाचार बैठी है। राजधानी पटना के सबसे पॉश इलाके बोरिंग रोड में दिनदहाड़े गोलियों की तड़तड़ाहट अब कोई असामान्य बात नहीं रही। बुलेट और स्कॉर्पियो सवार बेखौफ अपराधियों ने सरेआम फायरिंग कर यह साबित कर दिया है कि सत्ता के गलियारों से चंद कदम की दूरी पर कानून का राज नहीं, बल्कि जंगलराज की वापसी हो चुकी है। बीते 48 घंटे में रामकृष्णा नगर थाना अंतर्गत जगनपुरा और चांगर मोड़ इलाके में अलग-अलग घटनाओं में अपराधियों ने दो लोगों की गोली मार कर हत्या कर दी।
यह मात्र कुछ आपराधिक घटनाएं नहीं, बल्कि उस बदहाली का नग्न प्रदर्शन है, जहाँ सरकार का इकबाल खत्म हो चुका है और प्रशासन अपनी नपुंसकता पर पर्दा डालने में जुटा है। जब मुख्यमंत्री आवास से सटे इलाकों में अपराधी खुलेआम तांडव मचा रहे हों, तो आम जनता की सुरक्षा का जिम्मा किसके भरोसे है? क्या पटना पुलिस अब सिर्फ सीसीटीवी फुटेज खंगालने और खानापूर्ति के नाम पर इक्का-दुक्का निलंबन करने तक ही सीमित रह गई है? यह सवाल सिर्फ पटना की सड़कों से नहीं, बल्कि बिहार के हर नागरिक के मन से उठ रहा है कि आखिर कब तक यह सरकार अपनी विफलताओं पर पर्दा डालेगी और कब प्रशासन अपनी गहरी नींद से जागेगा? बोरिंग रोड की ये गोलियाँ सिर्फ हवा में नहीं चली हैं, बल्कि इन्होंने सुशासन के उन दावों को भी छलनी कर दिया है, जिनके भरोसे सत्ता की कुर्सियां गर्म की जा रही हैं।आलम ये था कि जिस समय बोरिंग रोड में गोलीबारी हो रही थी उस समय ADG का काफिला वहाँ से गुजर रहा था। फिर भी अपराधी गोलीबारी कर के पुलिस के नाक के नीचे से फरार हो गए। ऐसे में लोग ये सवाल पूछ रहे हैं कि आम लोग कब तक ऐसे दर के साये में जीते रहेंगे? हैरानी की बात यह है कि इतनी बड़ी वारदात होने के बाद भी प्रशासन का रवैया ‘ सब ठीक है‘ वाला बना हुआ है, मानो यह कोई आम बात हो।
‘सुशासन’ बाबू का ‘नया बिहार’?
इन सब घटना ने एक बार फिर प्रशासन के उन दावों की पोल खोल दी है, जिनमें वह राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति को दुरुस्त बताने का दावा करता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके ‘सुशासन’ का नारा अब मज़ाक का पात्र बनता जा रहा है। ऐसा लगता है जैसे अपराधियों को पुलिस का कोई खौफ ही नहीं रहा। वे जब चाहें, जहां चाहें, अपनी मनमानी कर सकते हैं।
सीसीटीवी फुटेज और ‘जांच जारी है’ का रटा-रटाया जवाब
घटना के बाद हमेशा की तरह पुलिस मौके पर पहुंची और जांच का रटा-रटाया आश्वासन दिया। इलाके में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगालने की बात कही जाती है , लेकिन सवाल यह है कि जब अपराधी सरेआम तांडव कर रहे हैं, तब प्रशासन की मुस्तैदी कहां गायब हो जाती है? क्या पुलिस केवल घटना होने के बाद कागज़ी खानापूर्ति के लिए है?
जनता की सुरक्षा राम भरोसे
पटना की जनता अब भगवान भरोसे ही है। उन्हें नहीं पता कि अगले पल कब, कहां और कौन अपराधी अपनी गोलियों का निशाना बना ले। प्रशासन के ढुलमुल रवैये से जनता में भारी आक्रोश है। सोशल मीडिया पर लोग लगातार अपनी भड़ास निकाल रहे हैं और प्रशासन से सवाल कर रहे हैं कि आखिर कब तक उन्हें इस खौफ के साये में जीना पड़ेगा?
यह घटना सिर्फ एक वारदात नहीं, बल्कि प्रशासन के निकम्मेपन का जीता-जागता सबूत है। देखना यह है कि क्या यह घटना प्रशासन की नींद तोड़ पाएगी, या फिर ‘जांच जारी है’ की रट के साथ अगली वारदात का इंतज़ार किया जाएगा।
रिपोर्ट : मनीष कुमार