असदुद्दीन ओवैसी का बिहार में गुप्त तरीके से एनआरसी लागू कराने का आरोप

AIMIM

पटना: बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले एक नया विवाद खड़ा हो गया है। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने निर्वाचन आयोग पर मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने की नई प्रक्रिया के ज़रिए राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को गुपचुप तरीके से लागू करने का गंभीर आरोप लगाया है। इस नई व्यवस्था के तहत, अब हर नागरिक को अपने जन्म स्थान और तिथि के साथ-साथ अपने माता-पिता के जन्म स्थान और तिथि का भी दस्तावेज़ी प्रमाण देना अनिवार्य कर दिया गया है, जिसने राज्य में सियासी पारा चढ़ा दिया है, खासकर गरीब और वंचित तबके में।

दस्तावेज़ों की अनिवार्यता और चुनौतियाँ

इस प्रक्रिया के तहत, मतदाताओं को अब यह साबित करना होगा कि वे कब और कहाँ पैदा हुए थे, और उनके माता-पिता का जन्म भी कब और कहाँ हुआ था। यह नियम उन लोगों के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है जिनके पास पर्याप्त दस्तावेज़ नहीं हैं। विश्वसनीय अनुमान बताते हैं कि भारत में केवल तीन-चौथाई जन्म ही पंजीकृत होते हैं, जिसका अर्थ है कि एक बड़ी आबादी के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं होगा। इसके अलावा, सरकारी कागज़ात में अक्सर भारी गलतियाँ पाई जाती हैं, जिससे सत्यापन की प्रक्रिया और भी जटिल हो जाती है।

सीमांचल क्षेत्र पर संभावित प्रभाव

बिहार का बाढ़ प्रभावित सीमांचल क्षेत्र इस नई प्रक्रिया से सबसे ज्यादा प्रभावित होने की आशंका है। यह क्षेत्र गरीबी से जूझ रहा है, जहाँ के लोग मुश्किल से दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर पाते हैं। ऐसे में उनसे अपने माता-पिता के जन्म संबंधी दस्तावेज़ पेश करने की अपेक्षा करना एक क्रूर मज़ाक माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रक्रिया के कारण बिहार के एक बड़े गरीब तबके को मतदाता सूची से बाहर कर दिया जाएगा, जिससे उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन होगा।

संवैधानिक अधिकार और सुप्रीम कोर्ट का रुख

मतदाता सूची में नाम दर्ज कराना हर भारतीय का संवैधानिक अधिकार है। इस आरोप के समर्थन में, यह तर्क दिया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में ही ऐसी मनमानी प्रक्रियाओं पर कड़ी आपत्ति जताई थी। चुनाव से ठीक पहले इस तरह की कार्रवाई शुरू करने से निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं और लोगों का आयोग पर भरोसा कमजोर होने की आशंका जताई जा रही है। असदुद्दीन ओवैसी ने ट्वीट कर कहा है कि यह “बिहार में NRC की शुरूआत” है और उन्होंने निर्वाचन आयोग के इस कदम को “अमानवीय और अन्यायपूर्ण” बताया है।

https://x.com/asadowaisi/status/1938581529761853789

रिपोर्ट: मनीष कुमार 

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