पटना: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव एक नए विवाद में फंस गए हैं। अपने जन्मदिन पर एक वायरल वीडियो को लेकर उन पर बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर का अपमान करने का आरोप लगा है। इस मामले में बिहार राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने उन्हें नोटिस जारी कर 15 दिनों के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है, जिसके बाद बिहार की सियासत गरमा गई है। भाजपा ने इस मुद्दे को लेकर राजद पर तीखा हमला बोला है, जबकि राजद इसे राजनीतिक साजिश बताकर अपने नेता का बचाव कर रही है।
क्या है पूरा मामला?
यह विवाद 11 जून को लालू प्रसाद यादव के जन्मदिन पर सामने आए एक वीडियो से शुरू हुआ। वीडियो में लालू यादव कुर्सी पर बैठे दिख रहे हैं और उनके सामने एक कार्यकर्ता बाबासाहेब अंबेडकर की तस्वीर लेकर आता है। आरोप है कि तस्वीर को सही तरीके से नहीं रखा गया और उसके प्रति अनादर दिखाया गया, जिससे बाबासाहेब का अपमान हुआ।
आयोग की कार्रवाई और नोटिस
वीडियो वायरल होने के बाद भाजपा समेत कई विपक्षी दलों ने इसे मुद्दा बनाया। उनकी आपत्तियों और वीडियो की गंभीरता को देखते हुए, बिहार राज्य अनुसूचित जाति आयोग ने इस पर स्वतः संज्ञान लिया। आयोग ने लालू प्रसाद यादव को नोटिस भेजकर 15 दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है। नोटिस में पूछा गया है कि क्यों न उनके खिलाफ अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (SC/ST Act) के तहत कानूनी कार्रवाई की जाए। आयोग का कहना है कि बाबासाहेब अंबेडकर का अपमान पूरे देश का अपमान है।
भाजपा का हमला और राजद का बचाव
भाजपा ने इस मामले को लेकर राजद और लालू यादव पर जोरदार हमला बोला है। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और अन्य भाजपा नेताओं ने लालू यादव से माफी की मांग करते हुए इसे बाबासाहेब और दलित समाज का अपमान बताया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि राजद दलित विरोधी है।
वहीं, राजद ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के बेटे और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भाजपा पर पलटवार करते हुए इसे राजनीतिक साजिश बताया। तेजस्वी ने कहा कि लालू प्रसाद यादव की तबीयत खराब है और भाजपा को इस पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। उन्होंने भाजपा को ‘बड़का झूठा पार्टी’ बताते हुए कहा कि लालू यादव हमेशा से बाबासाहेब अंबेडकर की विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध रहे हैं और उन्होंने बिहार में उनकी कई मूर्तियां भी लगवाई हैं। राजद नेताओं का कहना है कि यह भाजपा की हताशा है जो आगामी चुनावों से पहले ऐसे ‘घटिया’ आरोप लगा रही है।
इस मामले ने बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है, खासकर ऐसे समय में जब राज्य में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि लालू प्रसाद यादव आयोग के नोटिस का क्या जवाब देते हैं और क्या यह विवाद कानूनी लड़ाई का रूप लेता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मुद्दा आने वाले समय में बिहार के सियासी समीकरणों को किस तरह प्रभावित करता है।
रिपोर्ट: गौरव कुमार