पटना से करीब 40 किलोमीटर दूर,पटना-बख्तियारपुर फोरलेन रोड के किनारे स्थित करौटा का जगदंबा मंदिर सदियों से भक्तों की अटूट आस्था का केंद्र रहा है। अपनी प्राचीन मूर्ति और मनोकामना पूरी करने की शक्ति के लिए प्रसिद्ध, यह मंदिर न केवल स्थानीय लोगों बल्कि दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। खासकर मंगलवार और शनिवार को यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है, जो मां जगदंबा के दर्शन और आशीर्वाद पाने के लिए आतुर रहते हैं।
क्या है मंदिर की खासियत
इस मंदिर की सबसे खास बात यहां स्थापित मां जगदंबा की काले पत्थर की प्राचीन मूर्ति है। स्थानीय किंवदंतियों के अनुसार, यह मूर्ति किसी ने स्थापित नहीं की बल्कि एक पुराने पीपल के पेड़ की जड़ से स्वयं प्रकट हुई थी। इस चमत्कारी उद्भव के कारण ही मां के प्रति लोगों की श्रद्धा और भी गहरी है। इतिहास के पन्नों को पलटें तो पता चलता है कि कभी यहां एक भव्य मंदिर हुआ करता था, जिसे 11वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों ने इसे नष्ट कर दिया। हालांकि, मां की मूल मूर्ति आज भी उसी स्थान पर विराजमान है, जो भक्तों के लिए एक जीवंत ऐतिहासिक कड़ी है।
हर मनोकामना होती है पूरी
करौटा जगदंबा मंदिर को मनोकामना मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना मां जगदंबा पूरी करती है। नवरात्र के दिनों में यहां विशेष रूप से भक्तों की भीड़ जुटती है। मान्यता है कि इन नौ दिनों में जो भी भक्त सच्चे मन से मां के दरबार में अपनी अर्जी लगाता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। निसंतान दंपतियों के लिए तो यह मंदिर विशेष महत्व रखता है। महिलाएं मां से अपनी गोद भरने की प्रार्थना करती हैं और माना जाता है कि मां उनकी पुकार अवश्य सुनती हैं।
दूर दराज से पहुंचते है यहां भक्त
हालांकि यह मंदिर पहले स्थानीय ग्रामीणों की कुल देवी के रूप में पूजित था, लेकिन आज इसकी महिमा दूर-दूर तक फैली हुई है। मंदिर परिसर में अब अन्य देवी-देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर भी बने हुए हैं, जो इस स्थान की धार्मिक महत्ता को और बढ़ाते हैं। पटना-बख्तियारपुर रेलखंड पर करौटा स्टेशन के पास और फोर लेन के किनारे स्थित होने के कारण यहां पहुंचना भी सुगम है, जिससे हर वर्ग और क्षेत्र के श्रद्धालु आसानी से मां के दर्शन कर सकते हैं।
मंगलवार और शनिवार को इस मंदिर में विशेष चहल-पहल रहती है। इन दिनों भक्तों की इतनी भीड़ होती है कि मेले जैसा माहौल बन जाता है। लोग अपनी श्रद्धा और भक्ति के साथ मां के दर्शन के लिए घंटों कतार में खड़े रहते हैं। इस दिव्य मंदिर परिसर में शादी विवाह भी बहुत धूम धाम से संपन्न होता है।
आस्था और इतिहास का है अटूट संगम
करौटा का जगदंबा मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि आस्था और इतिहास का संगम है। प्राचीन मूर्ति का रहस्य, मनोकामनाओं की पूर्ति की अटूट विश्वास और भक्तों की अपार श्रद्धा इस मंदिर को एक विशेष पहचान दिलाते हैं। यह स्थान आज भी उसी श्रद्धा और भक्ति के साथ फल-फूल रहा है, जो सदियों पहले था, और मां जगदंबा के आशीर्वाद की छाया में अनगिनत भक्तों को शांति और उम्मीद प्रदान कर रहा है।
रिपोर्ट : गौरव कुमार