भारत के 52वें मुख्य न्यायधीश के रूप में शपथ लेंगे जस्टिस बी आर गवई

आज बुधवार 14 मई को भारत के न्यायपालिका इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ेगा जब सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ न्यायधीश जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई राष्ट्रपति के सामने पद और गोपनीयता की शपथ लेंगे।
वह न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का स्थान लेंगे जो 13 मई को रिटायर हुए हैं। वरिष्ठता के क्रम में अगला नाम होने के कारण उन्हें इस पद के लिए चुना गया है।
अमरावती जिले में जन्मे भूषण राम कृष्ण गवई तीन भाई-बहन में सबसे बड़े थे। उनके पिता दिवंगत आर एस गवई भी कद्दावर व्यक्ति थे, वे बिहार और केरल के राज्यपाल भी रह चुके हैं।

जस्टिस बी आर गवई का करियर 

1985 में वकालत शुरू करने वाले न्यायमूर्ति भूषण राम कृष्ण गवई अमरावती नगर निगम, अमरावती विश्वविद्यालय के लिए वकील का काम कर चुके हैं।
उन्होंने अगस्त 1992 से जुलाई 1993 तक बॉम्बे हाई कोर्ट के नागपुर बेंच में सरकारी वकील के तौर पर भी काम किया है।
नवंबर 2003 में वे बॉम्बे हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीश बने, नवंबर 2005 को उन्हें स्थायी न्यायधीश नियुक्त किया गया। 24 नवंबर 2019 को उन्हें सर्वोच्च न्यायालय का न्यायधीश बनाया गया।

भारत के दूसरे दलित मुख्य न्यायधीश 
जस्टिस बी आर गवई भारत के दूसरे दलित मुख्य न्यायधीश होंगे।  उनसे पहले जस्टिस के जी बालाकृष्णन 2007 में सर्वोच्च न्यायले के मुख्य न्यायधीश रह चुके हैं।

जस्टिस बी आर गवई के बड़े निर्णय
बुलडोजर कार्यवाई पर रोक – 2024 में उन्होंने फैसला सुनाया था कि दोषी होने के आधार पर किसी की संपाती को ध्वस्त करना असंवैधानिक है।
ऐसी कार्यवाई के लिए कानून का पालन करना आवश्यक है।

राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों की रिहाई : जस्टिस गवई कि अध्यक्षता वाली बेंच ने पिछले 30 साल से ज्यादा समय से जेल में बंद दोषियों की रिहाई की मंजूरी दी थी।

नोटबंदी को वैध ठहराया
जस्टिस गवई ने नवंबर 2016 में हुए देशव्यापी नोटबंदी को वैध बताते हुए कहा कि यह निर्णय आरबीआई और केंद्र सरकार के विचार विमर्श के बाद लिया गया है इसलिए ये अवैध नहीं था।

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