पटना: बिहार में लंबित आपराधिक मुकदमों के तेजी से निपटारे और पीड़ितों को त्वरित न्याय दिलाने के उद्देश्य से 100 नए फास्ट ट्रैक कोर्ट (FTC) का गठन किया जाएगा। बिहार पुलिस मुख्यालय ने इसकी रूपरेखा तैयार कर ली है और जल्द ही गृह विभाग के माध्यम से राज्य सरकार को इसका प्रस्ताव भेजा जाएगा।
यह जानकारी बिहार के पुलिस महानिदेशक (DGP) विनय कुमार ने एक प्रेस वार्ता में दी। उन्होंने बताया कि इन नए फास्ट ट्रैक कोर्ट में हत्या, लूट, डकैती और आर्म्स एक्ट जैसे गंभीर मामलों का प्राथमिकता के आधार पर ट्रायल किया जाएगा। इससे न केवल अपराधियों को उनके किए की त्वरित सजा मिलेगी, बल्कि निर्दोषों को राहत और पीड़ितों को भी जल्द न्याय सुनिश्चित होगा।
उद्देश्य और आवश्यकता:
बिहार में वर्तमान में 17 लाख से अधिक मामले न्यायालयों में लंबित हैं, जिससे न्यायिक प्रक्रिया पर भारी बोझ है। डीजीपी ने बताया कि 2011 तक राज्य में लगभग 178 फास्ट ट्रैक कोर्ट कार्यरत थे, जिनकी वजह से मामलों के निष्पादन की गति तेज हुई थी। हालांकि, बाद में पॉक्सो, एससी-एसटी और मद्य निषेध जैसे मामलों के लिए विशेष अदालतें बनीं। अब एक बार फिर, गंभीर आपराधिक मामलों के लिए स्पीडी ट्रायल पर जोर देने हेतु ये 100 नए कोर्ट खोले जा रहे हैं।
नए फास्ट ट्रैक कोर्ट में गंभीर मामलों पर फोकस
बिहार के सभी जिलों में इन कोर्ट का गठन किया जाएगा। बड़े जिलों में अधिकतम पांच और छोटे जिलों में एक से दो फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का प्रस्ताव है। इन कोर्ट में मुख्य रूप से हत्या, लूट, डकैती और आर्म्स एक्ट से जुड़े गंभीर आपराधिक मामलों की सुनवाई होगी। इन नए कोर्ट में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की भी तैनाती का प्रस्ताव है, जिससे न्यायिक अनुभव का लाभ मिल सके। इन कोर्ट को जमानत जैसे मामलों से अलग रखा जाएगा, ताकि गंभीर अपराधों के ट्रायल में तेजी लाई जा सके।
डीजीपी ने बताया कि राज्य के 1172 अपराधियों की संपत्ति जब्त करने की कार्रवाई भी तेज की गई है। इनमें से 188 के खिलाफ कोर्ट में प्रस्ताव भेजे जा चुके हैं, और 4 अपराधियों की संपत्ति जब्त करने का कोर्ट से आदेश भी मिल गया है। जब्त की गई संपत्ति का एक हिस्सा पीड़ित परिवारों की मदद में खर्च किया जाएगा। डीजीपी ने पुलिसकर्मियों के भ्रष्टाचार पर भी जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने की बात कही। उन्होंने बताया कि अब तक 66 पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है और 15 को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया गया है।
यह पहल बिहार में अपराध नियंत्रण और त्वरित न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। उम्मीद है कि इन फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन से न्यायिक प्रक्रिया में तेजी आएगी और अपराधियों पर शिकंजा कसने में मदद मिलेगी।
रिपोर्ट: मनीष कुमार