बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर 4 जून, 2025 को रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) की IPL जीत के जश्न के दौरान मची भगदड़ ने खुशियों को मातम में बदल दिया, जिसमें 11 लोगों की जान चली गई और 30 से अधिक घायल हुए। इस हृदय विदारक घटना के बाद कानूनी कार्रवाई का सिलसिला तेज हो गया है, जिसमें एक सामाजिक कार्यकर्ता ने RCB के स्टार खिलाड़ी विराट कोहली के खिलाफ भी शिकायत दर्ज कराई है, जिससे यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या इस त्रासदी में बड़े खिलाड़ी की भी कोई भूमिका या जिम्मेदारी बनती है?
घटना और अब तक की कार्रवाई
4 जून की शाम को RCB की ऐतिहासिक IPL जीत का जश्न मनाने के लिए हजारों की संख्या में प्रशंसक चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर उमड़ पड़े थे। भीड़ इतनी अनियंत्रित हो गई कि स्टेडियम के छोटे गेटों से जबरन घुसने की कोशिश के दौरान भगदड़ मच गई। कई लोग नीचे गिर गए और भीड़ के पैरों तले कुचले गए, जिससे यह दर्दनाक हादसा हुआ। इस घटना के बाद से कर्नाटक सरकार और पुलिस प्रशासन पर भारी दबाव है। पुलिस ने रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) फ्रेंचाइजी, इवेंट मैनेजमेंट कंपनी डीएनए एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड और कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA) के खिलाफ मामला दर्ज किया है। अब तक इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें RCB के मार्केटिंग हेड निखिल सोसले और डीएनए एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड के सुनील मैथ्यू, सुमंत और किरण कुमार शामिल हैं। इन सभी को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
कोहली पर आरोप और कानूनी स्थिति
इस मामले में नया मोड़ तब आया जब सामाजिक कार्यकर्ता एच.एम. वेंकटेश ने क्रिकेटर विराट कोहली के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। वेंकटेश का आरोप है कि विराट कोहली जैसे बड़े और प्रभावशाली खिलाड़ी को इस अप्रत्याशित भीड़ को संबोधित करना चाहिए था और उनसे संयम बरतने की अपील करनी चाहिए थी। उनका तर्क है कि एक बड़े सेलिब्रिटी होने के नाते उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे ऐसे सार्वजनिक आयोजनों में भीड़ नियंत्रण में सहयोग करें। हालांकि, पुलिस ने पुष्टि की है कि इस मामले में पहले से ही एक व्यापक केस दर्ज है और जांच जारी है। पुलिस के अनुसार, वेंकटेश की शिकायत को उसी मौजूदा मामले की जांच के तहत शामिल किया जाएगा और अलग से कोई नया मामला दर्ज नहीं किया जाएगा। यह दर्शाता है कि पुलिस इस आरोप की जांच कर रही है कि क्या किसी प्रभावशाली व्यक्ति द्वारा भीड़ को नियंत्रित करने में कोई चूक हुई है।
इस्तीफे और प्रशासनिक फेरबदल
खेल संगठन के भीतर भी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफे हुए हैं। कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA) के सचिव ए. शंकर और कोषाध्यक्ष ई.एस. जयराम ने घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। इसके अलावा प्रशासनिक स्तर पर भी बड़े फेरबदल हुए है। कर्नाटक सरकार ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के राजनीतिक सचिव के. गोविंदराज को उनके पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। साथ ही, राज्य खुफिया विभाग के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (ADGP इंटेलिजेंस) हेमंत एम. निंबालकर का भी तबादला किया गया है। बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर बी. दयानंद सहित कुल नौ आला पुलिस अधिकारियों का तबादला किया गया है, जो इस बात का संकेत है कि सरकार खुफिया विफलता और कुप्रबंधन को लेकर सख्त रुख अपना रही है।
न्यायिक जांच का गठन
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने घटना की गंभीरता को देखते हुए सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जॉन माइकल डी’कुन्हा की अध्यक्षता में एक सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया है। आयोग को 30 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है, ताकि घटना के कारणों, जिम्मेदारियों और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के उपायों का पता लगाया जा सके।
यह भगदड़ सिर्फ एक खेल आयोजन का दुखद अंत नहीं है, बल्कि बड़े आयोजनों में भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा प्रोटोकॉल की गंभीर खामियों को उजागर करती है। विराट कोहली के खिलाफ शिकायत इस बात पर भी बहस छेड़ रही है कि क्या सार्वजनिक शख्सियतों की ऐसी घटनाओं में कोई सक्रिय भूमिका या जिम्मेदारी होती है। जांच आयोग की रिपोर्ट और उसके आधार पर की जाने वाली कार्रवाई पर सबकी निगाहें टिकी रहेंगी।
रिपोर्ट: रविश कुमार/मनीष कुमार