पटना: राजधानी पटना आज पुरी जैसी भक्ति में सराबोर हो गई, जब शुक्रवार को भगवान श्री जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा शहर की सड़कों पर निकली। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर हर साल आयोजित होने वाली यह यात्रा, इस बार इस्कॉन पटना द्वारा एक अभूतपूर्व उत्साह के साथ निकाली गई, जिसने हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित किया और पूरे शहर को आध्यात्मिक रंगों से सराबोर कर दिया।
रथ यात्रा का भव्य मार्ग और अंतरराष्ट्रीय उपस्थिति
भगवान श्रीजगन्नाथ, श्री बलभद्र और माता सुभद्रा की अलंकृत प्रतिमाएं एक भव्य रथ पर विराजमान थीं, जिसे श्रद्धा और उल्लास के साथ इस्कॉन मंदिर परिसर से रवाना किया गया। यह शोभायात्रा बुद्ध मार्ग, तारामंडल, इनकम टैक्स गोलंबर, बेली रोड से होते हुए बिहार म्यूजियम तक पहुंची. वहां से यू-टर्न लेकर विमेंस कॉलेज, स्कूल नंबर, कोतवाली, डाकबंगला चौराहा और मौर्यलोक कॉम्प्लेक्स होते हुए वापस इस्कॉन मंदिर लौट आई। इस साल की रथ यात्रा में देश-विदेश से आए श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड तोड़ उपस्थिति देखने को मिली। इस्कॉन रथ यात्रा समिति के अध्यक्ष राम मनोहर दास ने बताया कि मायापुर धाम से एक विशेष श्रद्धालु दल इस यात्रा में शामिल हुआ, जिससे इसकी दिव्यता और बढ़ गई। इतना ही नहीं, इंग्लैंड और नाइजीरिया से भी कीर्तन मंडली के सदस्य विशेष रूप से पटना पहुंचे थे, जिन्होंने अपने भक्तिपूर्ण गीतों और हरिनाम संकीर्तन से पूरे वातावरण को मंत्रमुग्ध कर दिया। “हरे कृष्ण-हरे राम” के उद्घोष से पूरा शहर गूंज उठा, और भक्त नाचते-गाते हुए रथ को खींच रहे थे. मानो स्वयं भगवान उनके बीच चल रहे हों.

जनसैलाब और भक्तिमय अनुष्ठान
मार्ग में जगह-जगह श्रद्धालुओं ने भगवान के रथ को खींचकर पुण्य लाभ कमाया, जो इस महापर्व की एक पारंपरिक विशेषता है। रथ पर विराजमान भगवान श्रीजगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मनोहारी झांकी ने हर किसी को भाव-विभोर कर दिया। यात्रा मार्ग में भक्तों द्वारा भव्य स्वागत की व्यवस्था की गई थी, जिसमें फूलों की वर्षा, भजन-कीर्तन के पंडाल और जलपान की व्यवस्था शामिल थी। कई सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सुरक्षा व्यवस्था के लिए पुलिस बल की व्यापक तैनाती थी, जिससे यात्रा शांतिपूर्ण और सुचारु रूप से संपन्न हुई। श्रद्धालुओं के लिए विशेष प्रसाद की व्यवस्था भी की गई थी, जिससे भक्तों का उत्साह चरम पर था। राम मनोहर दास ने बताया कि इस वर्ष की रथ यात्रा में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सभी आयु वर्ग के लोगों में अद्भुत उत्साह देखने को मिला। हर कोई भगवान श्रीजगन्नाथ के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आतुर था।

आस्था का प्रतीक, पटना का जगन्नाथ पर्व
यह रथ यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि पटना की सांस्कृतिक एकता और भक्ति भावना का प्रतीक बन गई है। राम मनोहर दास ने अंत में कहा पूरे दिन पटना में भक्तिमय माहौल रहा और रथ यात्रा ने यह संदेश दिया कि आस्था, संस्कृति और एकता के प्रतीक भगवान जगन्नाथ के इस पर्व का महत्व सिर्फ ओडिशा तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे भारत में श्रद्धा से मनाया जाता है। पटना का यह जगन्नाथ पर्व अब शहर के कैलेंडर का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है, जो हर साल भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और सामुदायिक सौहार्द का अवसर प्रदान करता है।
रिपोर्ट: गौरव कुमार